Mock Drill क्या है? जानिए इसके पीछे की पूरी प्रक्रिया और आम जनता के लिए क्यों है यह ज़रूरी
What is Mock Drill – मॉक ड्रिल (Mock Drill) एक तरह की “आदर्श अभ्यास प्रक्रिया” होती है, जो किसी भी आपातकालीन स्थिति जैसे युद्ध, आतंकवादी हमला, या प्राकृतिक आपदा के समय किस तरह से प्रतिक्रिया करनी है, इसकी प्रैक्टिस के लिए की जाती है। ये ड्रिल पूरी तरह से नकली होती है, लेकिन इसे वास्तविक परिस्थिति की तरह ही किया जाता है।
मॉक ड्रिल का सबसे बड़ा उद्देश्य होता है कि किसी भी आकस्मिक स्थिति में लोगों की सुरक्षा को लेकर सभी एजेंसियाँ और नागरिक तैयार रहें।
इन ड्रिल्स के माध्यम से यह जांचा जाता है कि पुलिस, फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस, सेना आदि एजेंसियों के बीच समन्वय कैसा है।
बहुत बार आम लोग नहीं जानते कि ऐसी परिस्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए। मॉक ड्रिल उन्हें इसका अभ्यास कराती है।
भारत-पाक सीमा से सटे राज्यों में आतंकवादी गतिविधियाँ होती रहती हैं। इनसे निपटने के लिए तैयारी ज़रूरी है।
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सीमावर्ती राज्यों में सुरक्षा बढ़ाने के साथ मॉक ड्रिल को ज़रूरी बना दिया।
भूकंप, बाढ़, आग जैसे संकटों के समय सही कदम उठाने के लिए पहले से की गई मॉक ड्रिल बहुत मददगार होती है।
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लाइटें बंद कर दी जाती हैं ताकि हवाई हमले के समय दुश्मन को लक्ष्य न मिले।
तेज़ सायरन बजाया जाता है ताकि लोग सतर्क हो जाएं और सुरक्षा स्थान की ओर बढ़ें।
स्कूल, ऑफिस, मार्केट से लोगों को निकाल कर सुरक्षित क्षेत्रों में पहुँचाया जाता है।
लोगों को सिखाया जाता है कि ज़ख्मी होने पर प्राथमिक उपचार कैसे करें।
भारत ने मई 2025 में पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसमें देश की सतर्कता और सुरक्षा प्राथमिकता रही।
गुजरात, पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में 29 मई को मॉक ड्रिल की योजना है।
हरियाणा में इसे ‘ऑपरेशन शील्ड’ नाम दिया गया है और 22 जिलों में एकसाथ मॉक ड्रिल होगी।
समय रहते प्रतिक्रिया देने की आदत बनती है और जान-माल की हानि कम होती है।
कौन कितना तैयार है, यह सामने आ जाता है और सुधार के सुझाव मिलते हैं।
डर और घबराहट कम होती है क्योंकि पहले से जानकारी और अनुभव रहता है।
लोगों का सक्रिय रूप से शामिल होना मॉक ड्रिल (Mock Drill) को सफल बनाता है।
कई बार मॉक ड्रिल को लेकर अफवाहें फैलती हैं, जिन्हें नज़रअंदाज़ करना ज़रूरी है।
प्रशासन जो दिशा-निर्देश देता है, उन्हें फॉलो करना ज़रूरी है।
छात्रों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि आपदा के समय क्या करना चाहिए।
मॉक ड्रिल के ज़रिए युवा पीढ़ी में समझदारी और तैयारी की भावना आती है।
कभी-कभी सूचना देर से मिलती है, जिससे भागीदारी कम हो जाती है।
ड्रिल के दौरान ट्रैफिक रुक जाता है या दुकानों में दिक्कत आती है।
कई बार लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते, जिससे इसका उद्देश्य अधूरा रह जाता है।
मॉक ड्रिल (Mock Drill) कोई दिखावा नहीं है बल्कि हमारी सुरक्षा की एक अहम कड़ी है। जितनी ज्यादा बार हम इसका अभ्यास करेंगे, उतने ही कम नुकसान की संभावना होगी। आज के बदलते समय में जहां आतंकी खतरे और प्राकृतिक आपदाएं लगातार बढ़ रही हैं, मॉक ड्रिल हमारी सुरक्षा कवच की तरह काम करती है। इसलिए जब भी आपके शहर में मॉक ड्रिल हो, उसमें ज़रूर भाग लें।
प्रशासनिक निर्देशानुसार यह साल में 1 से 4 बार तक की जा सकती है।
सरकारी और संस्थागत स्थलों पर यह अनिवार्य होती है, जनता की भागीदारी भी वांछनीय होती है।
ब्लैकआउट, सायरन बजाना, लोगों की निकासी, प्राथमिक चिकित्सा सिखाना आदि।
नहीं, यह पूरी तरह से सुरक्षित होती है और सिर्फ़ अभ्यास के लिए होती है।
सरकारी वेबसाइट, समाचार चैनल, स्कूल/ऑफिस नोटिस या लोकल प्रशासन से।
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